गुनाहे अज़ीम

आज फिर हुई बारिश, 
आज फिर अपने आँसू छुपाए हमने।
ज़िंदगी को हमारी लग गयी किसी की नज़र, 
आज फिर ख़ुशी के झूठे किससे सुनाए हमने।।

खुदा ने नवाज़ा है हर किसी को किसी बकशीश से, 
आज फिर इल्लतज़ा को अपनी इंतज़ार में पाया हमने।।
सोचा था के मना लेंगे दो त्योहार साथ में सभी, 
अपनी छोटी सी दुआ को बड़ी सी कतार में पाया हमने।।

हुआ होगा कोई गुनाहे-अज़ीम हमसे, 
की यूँ अपने को सासों के लिए तड़पता पाया हमने।
तुम रहो ख़ुश के है तुम्हारे पास है संसार का सबसे बड़ा तोहफ़ा, 
आज फिर अपनी आँखों को “माँ” के लिए रोता पाया हमने।।

.... दिल ने फिर आज एक तमन्ना की, आज फिर दिल को हमने समझाया।

इंतज़ार

इंतज़ार बहुत लंबा है, साँसें काफ़ी बाक़ी हैं
ज़िंदगी का पर हर दिन अब हम पर भारी है
त्योहारों का भी अब वो रंग दिखायी नहीं देता
कोशिश बहुत करता हूँ पर हार जाता हूँ
आँसू ज़्यादा बहते हैं, पहले भी ये निकल जाते थे
पर तब कभी कभी ख़ुशी के भी होते थे
ख़ैर ज़िंदगी में अभी भी थोड़े खैरखवाह बाक़ी हैं
कट जाएगी ठीक ठाक ये उम्मीद अभी भी बाक़ी है
इंतज़ार अभी काफ़ी लम्बा है साँसे अभी बाक़ी हैं।

माँ के बिना एक साल - २

माँ आपको बता दूँ, कुछ विशेष बातें पिछले साल की..

पिछले एक साल में बहुत कुछ हुआ माँ
घर की पुतायी हो गयी
अब पहले से कुछ बेहतर दिखता है
बहन के बेटा हुआ, उम्मीदों की नयी उमंग आयी
बहुत सुंदर है “चिंटू”, नन्हा सा
मैं अब वापस अमेरिका चला आया हूँ
भाई भी ठीक है वापस काम पे ध्यान देने लगा है
पिताजी ने अपने को काफ़ी संभाल लिया है
कभी कभी थोड़ी ज़िद कर लेते हैं 
पर संभल कर फिर से ठीक हो जाते हैं
और क्या बताऊँ माँ
हाँ, इस साल बारिश बड़ी हुई,
 सारे बाँधों के सभी गेट खोलने पड़े
पर अच्छा है फ़सल अच्छी होगी
हो सकता है सर्दी भी काफ़ी पड़े
मैं अब अक्सर पिताजी से बात कर लेता हूँ
पहले आपसे होती थी तो उनकी ख़बर भी मिल जाती थी
टोटो-गिनी-मिनी ठीक हैं
रोज़ सुबह उठकर आपको प्रणाम कर लेते हैं
शायद अभी समझ नहीं है उनको आपकी कमी की
बस माँ, आजकल थोड़ा कम रोता हूँ 
कभी कभी हंस भी लेता हूँ
हाँ माँ सभी थोड़े संभाल गए हैं
ज़िंदगी के साथ चलने लगे हैं
बस कभी कभी आपकी बहुत याद आती है
इसीलिए सोचा आपको बता दूँ।